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Saturday, December 17, 2011

जादू बुलेटिन

आइंस्‍टीन या न्‍यूटन ?

 

सुबह जादू जिस स्‍टूल पर बैठे थे
उसी को उठाने की कोशिश कर रहे थे।
और बोल रहे थे--बाप रे। बहुत भारी है।

फिलॉसफी

अभी-अभी जादू ने ज्ञान दिया है।

जादू जब बड़ा होगा तब बड़ा होगा।

इसीलिए इतनी शरारत करता है।

 

गाना

जादू गा रहा था--'मेरा प्‍यार शालीमार'

पापा चौंक गये। ये गाना कहां से आया।

खोजबीन करने पर पता चला कि ये किसी नारियल तेल

के विज्ञापन में आता है।

 

मावूती सुजुकी
जादू आजकल गाडियां पहचानते हैं। जैसे ही गाड़ी दिखती है कहते हैं वो देखो रिट्ज़।

एक दिन सिग्‍नल पर बोले, पापा देखो फीगो। जादू को फीगो पसंद है।

टी वी पर विज्ञापन का असर है जादू बोलते हैं मावूती सुजुकी वेगन आर।

इसे क्‍या कहा जाए।

 

अरे भैया
पता नहीं कहां से जादू ने 'अरे भैया' सीख लिया है।

बानगी देखिए--

'अरे भैया जादू को नहीं खाना है'

'अरे भैया सोने दीजिए'

'अरे भैया चलिए ना'

'अरे भैया जल्‍दी'

 

 

रेडियोसखी 

पापा कभी-कभी मम्मा को रेडियोसखी कहते हैं।

एक दिन जादू कहते पाए गए--रेडियोसखी जादू को पानी चाहिए।

दादाजी का हैपी बर्थडे।

कल दादाजी का हैप्‍पी बर्थडे था।

जादू ने दादा को फोन किया। और तरह तरह की कहानियां सुनाईं।

दादा केक तैये। गुलाला-जामुन तईये।

सेलिब्रेशन करना है।

और बोला टी वी नहीं देखना। नईं तो लायन आ जायेगा।
लायन नहीं कोकोदाइल आ जाएगा। और मंकी बोलेगा—भागो।

फिर बिल्‍ली बोलेगी ऐसा नईं करते।

कहानी का कोई ओर-छोर नहीं था।

फिर जादू ने दादाजी को 'कोलावेरी' भी सुनाया।

बड़ा मज़ा आया।