जादू कभी-कभी सुबह बहुत ख़राब मूड में उठता है।
ज़्यादातर हंसता हुआ।
आज सुबह जब जादू उठा तो उसने देखा कि
उसकी 'डॉल' (गुलिया) उसके उठने का इंतज़ार कर रही है।
जैसे ही जादू जागा, गुलिया ने कहा कि
उसे वैसे ही 'टक-बक-टक-बक' करना है....जैसे जादू पापा
की पीठ पर करता है।
फिर क्या था--जादू फंस गए।
सुबह-सुबह जादू बन गए घोड़ा और
गुलिया बन गयी सवार।
और फिर बहुत देर तक 'तब्बत तब्बत' हुआ।
मम्मा-पापा को बड़ा मज़ा आया।
Friday, May 20, 2011
तब्बत तब्बत।।
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1 comments:
हमें भी
बड़ा मज़ा आया जी !!
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