मम्मा जादू को नहला रही थीं। नहाने के बाद जादू ने कहा, मम्मा बारिश हो रही है। कितना अच्छा लग रहा है। माउंटेन्स पर कब चलोगी।
मम्मा ने कहा, अभी तो गये थे।
जादू--तो फिर चलो ना मम्मा। मम्मा माउंटेन में जाना ही जाना है।
मम्मा-नहीं, खाने-पीने में तुम इतने नखरे करते हो, पानी पीने के लिए भी मनुहार करवाते हो, दूध तो पीते ही नहीं हो, माउंटेन्स में जाकर आप तो एंजॉय करते हो, पर मम्मा का सारा दिन आपकी सेवा में बीतता है।
जादू- पर मम्मा ऐसा करो माउंटेन्स पर चलो और एक रेसॉर्ट ख़रीद लो
मम्मा- रिसॉर्ट ख़रीदने की हैसियत कहां है।
जादू-क्यों
मम्मा- उसके लिए बहुत सारे पैसे चाहिए होते हैं
जादू- मम्माssss...............आलमारी से पैसे निकाल लीजिए और रेसॉर्ट ख़रीद लीजिए। रिसॉर्ट में मज़ा आयेगा ना।
मम्मा- आलमारी में इतने पैसे नहीं हैं बेटा
जादू- मेरे पिगी-बैंक में रखा है ना। वो देखो इतने सारे कॉइन रखे हैं और कांच के गिलास में भी रखे हैं। निकाल लो और रिसॉर्ट ख़रीद लो। मज़ा आयेगा
मम्मा- नहीं बेटा, ये मुमकिन नहीं है, बड़े होगे तो समझोगे।
तस्वीर--मालशेज के रिसॉर्ट में धुंध के बीच जादू।
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